ज़रा आवाज़ का लहजा तो बदलो................
ज़रा मद्धिम करो इस आंच को 'सोना'
कि जल जाते हैं कंगुरे नर्म रिश्तों के !
ज़रा अलफ़ाज़ के नाख़ुन तराशो ,
बहुत चुभते हैं जब नाराज़गी से बात करती हो !!
ILHAAM IS A WORD OF URDU ' WHICH MEANS GIFTED FROM ABOVE'. THIS BLOG CONTAINS THE ARTICLES DEALING WITH PROBLEMS OF COMMON MAN OF INDIA. I AM NOT A WRITER. EVERYTHING WRITTEN IN THIS BLOG IS AN 'ILHAAM' AND I THINK SOME ONE DESCENDS FROM ABOVE AND CONTROLS MY FINGERS AND PEN.
गुलज़ार साहब की अच्छी रचना पढवाने के लिए आभार
ReplyDeleteन रक्खो बचा के
ReplyDeleteज़हन में इक शिकायत सी
उन चुंधियाती रौशनियों के लिए
वहाँ जलता...
वो पीला-सा बल्ब
मद्धम लगने लगता है
Lovely lines !
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