छुप गया था कहीं मेरी बाहों में
न कोई शोर
न सरगोशी
न किसी लम्स कि हरारत
अलसाया , उनींदा सा
ले के करवट मेरी तरफ
हर लम्हा खुद से ही छुपने कि कोशिश में
आँखें नम कर गयी यह नाराज़ी उसकी
फिर उठा तो बाहों में ले के बोला
यूँ नम न किया करो आँखें
मैं तो खुद ही तुम में हूँ
और......................
तुम कब जुदा हो खुद से..............