ILHAAM IS A WORD OF URDU ' WHICH MEANS GIFTED FROM ABOVE'. THIS BLOG CONTAINS THE ARTICLES DEALING WITH PROBLEMS OF COMMON MAN OF INDIA. I AM NOT A WRITER. EVERYTHING WRITTEN IN THIS BLOG IS AN 'ILHAAM' AND I THINK SOME ONE DESCENDS FROM ABOVE AND CONTROLS MY FINGERS AND PEN.
Wednesday, November 17, 2010
अदबी कीमियागरी
कल भूले भटके केमिस्ट्री की एक किताब खोल ली. केमिस्ट्री से नाता टूटे तो एक अरसा बीत चला है पर..... पुराना रिश्ता भी तो कायम है हम दोनों में.....चैप्टर पानी पर था तो पढना ज़रूरी लगा ... किताब में कीमियागर कहते हैं की पानी का कोई रंग नहीं होता , पानी का कोई स्वाद नहीं होता, पानी.......हर वो चीज़ डुबो सकता है जिसे तुम देख सकते हो और हर वो चीज़ बहा ले जाता है ......जिसे तुम छु सकते हो........ दर्जा ऐ हरारत भी पानी से कम हो जाता है......लगा कीमियागर कहीं खामोश है या मुनकिर......कीमियाई ख्साईल तो तफसील से लिख दिए पर जज़्बाती ख्साईल की तरफ शायद ध्यान नहीं गया उनका.....जब से शायरी और अदब से रिश्ता जुडा है तब से पानी का स्वाद नमकीन ही है और पानी का चाहे रंग हो या न हो लेकिन सब रंग ऐसे बहा ले जाता है ...........कि कोई निशाँ बाकी नहीं रहता.......ज़हन से आँखों तक का तवील सफ़र तै करते बहुत ख्वाहिशें बह जाती हैं और कई ख्वाब डूब जाते हैं........अदबी कीमियागरी शायद कुछ नहीं होती..........
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ज़ेहन से आँखों तक का तवील सफ़र तै करते कुछ ख्वाहिशें बह जाती हैं और कई ख्वाब डूब जाते हैं..................अदबी किमियागरी शायद कुछ नहीं होती.....
ReplyDeleteबहुत गहरी बात कही है ...