पाँव पड़ जाये किसी सुलगती याद पर
आवाज़ दें तुमेह कुछ सायेदार लम्हें
और खींच ले किसी एहसास की ठंडक
हो सकता है कुछ दिन निकल जायें
ज़हन औ दिल की कशमकश में
और कलम की नोक बना दे
एक गहरा निशान पेशानी पर
यूँ भी हो सकता है
खाने में कंकर का पता न लगे
और लड़ी ख़यालात की टूटे
एक चटाख की आवाज़ के साथ
हो सकता है तीखी लगे कुछ देर
सर्दियों की नरम धूप
और बदल ले कायनात अपनी फितरत
कुछ दिनों के लिए
उचटती सी नज़र डाल कर आगे बढ़ जाना
कुछ एहतमाम ज़रूरी होते हैं सफ़र के लिए
हिजरतें कब आसान होती हैं