बचपन की एक कहानी तो सब को याद है की एक ज़मींदार ने दूध पिलाने के लिए एक नौकर रखा. नौकर रात को आधे शुद्ध दूध में पानी मिला कर देने लगा, ज़मींदार को शक हुआ तो उसने नौकर पर नज़र रखने के लिए दूसरा नौकर रखा. अब दोनों नौकर आधा आधा दूध पीने लगे और रात को सोते हुए ज़मींदार की मूछों पर मलाई लगा देते और सुबह कहते की मालिक रात को आपने दूध पिया था सबूत के तौर पर मलाई मुछों पर लगी है. अब ज़मींदार ने तीसरा नौकर रखा की पहले वाले दोनों नौकरों पर नज़र रखी जा सके. तीसरा नौकर मलाई खाने लगा और तीनो सुबह उठ कर मालिक को बातों बातों में मनवाने लगे की हम तीनों ने रात को आप को खाने के बाद दूध दिया था . मालिक बेचारा क्या करता , नौकरों की बातों के बहकावे में आ गया. शायद यही कहानी है आज सारे देश की जनता की. पहले सरकारें मिलावटी दूध पिलातीं थीं, फिर मूछों पर मलाई लगाने लगीं और अब सब बातों बातो में..................... इसी कहानी के कुछ अंश चरितार्थ होते दिखे जब एक पत्रकार ने मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से पूछा के फाजिल्का तहसील के गाँव में पीने का पानी ज़हरीला है. तो जवाब मिला के आपने हमें बताया है हम इस को जल्दी ही देखेंगे. क्या एक मुख्यमंत्री से इस उतर की आशा की जा सकती है वो भी तब के जब जनाब के खुद के बेटे इस गाँव के विधायक हैं?और चुनावी रैलियों में गाँव की जनता से शुद्ध पीने के पानी के बारे में बड़े बड़े वादे कर के गए थे.
पिछले दिनों फाजिल्का का यह गाँव सभी अख़बारों की सुर्ख़ियों में रहा ' तेजा रूहेला' . मुद्दा था 'ज़हरीला पानी'. . भोगोलिक आधार पर देखें तो पता चलता है की सतलुज इस गाँव में आने से पहले पाकिस्तान परवेश करता है और फिर वापिस भारतीय सीमा में आता है. कुछ सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान से वापसी के समय इसमें कसूर की चमड़ा फैक्ट्रियों का ज़हरीला अवशेष मिलता है जिससे ये पानी ज़हरीला हों जाता है और कुछ के मुताबिक यह दरिया का पानी लुधिआना के बुड्ढा नाला से आता है , जो की लुधिआना के उद्योगों की कारुजगारी है. कारण जो भी हों मसला है ' ज़हेरीला पानी'. लोग अपंग हों रहे हैं, कुछ बच्चे अपंग पैदा हों रहे हैं,, जवानों की सीढ़ी एंट्री बुढापे में है. आज़ादी के ६० साल बाद भी हम पीने के पानी के लिए पकिस्तान को कोस रहे हैं. पंजाब प्रदूषण रोकथाम बोर्ड की मानें तो पंजाब में सब ठीक है, सतलुज का प्रदूषण हिमाचल परदेश के उद्योगों से हों रहा है. पंजाब कृषि विश्वविधालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक बुड्ढा नाला के सतलुज में मिलने से पहले सतलुज का पानी बिलकुल ठीक है पर जैसे ही बुड्ढा नाला लुधिअना में सतलुज से मिलता है इसमें मिल जाते हैं ज़हरीले अवशेष. गाँव तेजा रूहेला के लोगों से हमदर्दी प्रकट करने के लिए आने वाले लोगों में कुछ सेलेब्रिटी थे, कुछ ऍन जो ओ , कुछ राजनेता और कुछ टीवी चैनल. सब सब आपनी और से हमदर्दी बयां कर गए और गाँव वालों का दर्द दुनिया को दिखा गए. दर्द का कोई चेहरा नहीं होता , दर्द तो आग़ाज़ से अंजाम तक केवल दर्द ही होता है. ग़ैर सरकारी संस्थायों वाले पानी के सेम्पल भर के ले जा रहे हैं के हम इसे टेस्ट करवाएंगे. क्या बीमार और अपंग लोगों की उपस्थति अभी भी टेस्ट की मोहताज है. कुछ लोग भोले भाले गाँव वालो को बता रहे हैं के आपके पानी में "सुस्पेंदेद सोलिड्स ' जिससे पानी ज़हरीला हों रहा है. और किसी ने बिलकुल दूर की कौड़ी फ़ेंक दी की इस में पाकिस्तान का हाथ है. चाहे सुस्पेंदेद सोलिडस हों या यूरानियम हों या कुछ और इस बात से कुछ फरक नहीं पड़ता. क्यूंकि एक बात तो पानी की तरह साफ़ है के पानी ज़हरीला है फिर इस पर इतना नाटक क्यूँ. मुख्यमंत्री कह रहे हैं के देखेंगे. कब देखेंगे? जब गिद्दढ़ बाहा के लोगों को १० पैसे प्रति लीटर मिल सकता है तो यहाँ क्यूँ नहीं. जिस तरह केंद्र सरकार के लिए सारा हिंदुस्तान दिल्ली में बसता है उसी तरह पंजाब सरकार के लिए शायद सारा पंजाब भटिंडा और आस पास ही बसता है. सब आ जा रहे हैं, कुछ ग्लोबल वार्मिंग के ठेकेदार हैं, कुछ खेती सँभालने वाले और कुछ चेहरा बेचने वाले और कुछ राजनेता . सब अपनी अपनी तरह से समस्या का चिंतन कर रहे हैं. पर एक चीज़ पर किसी का ध्यान नहीं है ............ और वो है 'हल' . कोई 'हल' पर चिंतन नहीं कर रहा है. सब समस्या पर केन्द्रित है हों भी क्यूँ न इसी से तो दुकानदारी चलती है. समस्या बढ़ाएंगे नहीं तो लोग जानेंगे कैसे के हम भी समाज के कुछ उन ठेकेदारों में से हैं जो राजनेता नहीं हैं. हम उनकी तरह आपकी समस्या दूर तो नहीं करेंगे पर हाँ उस पर नमक ज़रूर लगा सकते हैं. हम आपके पास आयेंगे , फोटो खिचवायेंगे और फिर सरकार से ग्रांट ले कर एक और तेजा रूहेला ढूँढने के मिशन पर चले जायेंगे. और अगर आप उस ग्रांट से अपने इलाके में कोई आर ओ सिस्टम की आशा कर कर रहे हैं , तो कृपया किसी ग़लतफहमी में मत रहें क्यूँकी इस पूरे घटनाक्रम में हम अपना अपना चाँद ले कर जा रहे हैं और आपकी बात हम सरकार तक पहुंचा देंगे.
वह कहते हैं हुकूमत चल रही है
मैं कहता हूँ हिमाक़त चल रही है
उजाले जी हुज़ूरी कर रहे हैं
अंधेरों की सियासत चल रही है
A heart-felt and touching write-up !
ReplyDeleteVarun's prose may not be polished but it is promising enough.He is successful in getting targeting brains get focused.I wish the problems he brings to notice meet their solutions !
varun truly written the reality. it is happening in Fazilka...
ReplyDeletewell explained. it is also happening in jbd.
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