रोज़ शाम मंदिर जाने की आदत है..धार्मिक हूँ या धरम भीरु जानने की कभी चेष्टा नहीं की. जाकर रोज़ ही लोगों को बहुत विनम्र स्वभाव में देखता हूँ.....कभी पीछे से आने वालों को रास्ता देते हैं.....पैरों की ठोकर से सिमटी चादर को सही भी करते हैं..टकरा जायें तो 'sorrry ' भी बोलते हैं... बहुत कोशिश करता हूँ रोज़ की वो बोर्ड कहीं नज़र आ जाये....जिस पर लिखा होता है" यू आर अंडर c .c . टीवी सर्विलांस" ..................
कभी कभी लगता है
ReplyDeleteकि कुछ लोगों की
सुबह की जिंदगी ,
और बाक़ी दिन-भर की जिंदगी में
ज़मीन - आसमान का फ़र्क़ है ...