Tuesday, November 24, 2009

मैं भगत सिंह पंजाबी बोल रहा हूँ!


भगत सिंह: हेलो, मैं भगत सिंह पंजाबी बोल रहा हूँ। और क्या हाल हैं बाबु मोशाय।
बटुकेश्वर दत्त: हाँ भाई पंजाबी, क्या हाल है तुम्हारे। मोबाइल नम्बर बदल लिया बताया नहीं।
सिंह: बस यार ऐसे ही। कोई पंगा पड़ गया था इधर पंजाब में और सुना।
दत्त: तू सुना क्या चल रहा है आज कल।
सिंह: बस यार वोही ठेके दिला देते हैं लोगों को और वोही बसें चल रही है ४० -५०।
दत्त: ४०-५० बसें! यार इतने परमिट कहाँ से लाते हो।
सिंह: परमिट काहे का। किसी ने मरना है क्या जो भगत सिंह पंजाबी की बस रोके। जब से साले स्कॉट को गड्डीचढ़ाया हैं न अपना तो इधर मस्त काम है। देख कर सलाम ठोकते हैं इधर।
दत्त: और अपना सुखदेव कहाँ हैं आज कल।
सिंह: मिला नहीं यार। उसने लाला जी के साथ मिल कर एक खत्री बचाओ आन्दोलन शुरू किया था, आज कललाला जी ढीले हैं तो सरदार बना घूमता है। काम तो उसका भी वोही है। सुना है रेत वेत की खानों पर क़ब्ज़ा है आजकल। धींगरा भी उनके साथ है, अमृतसर संभाल रहा है आज कल।
दत्त: और अपना वोह मराठा शेर?
सिंह: कौन राजगुरु! अरे वोह तो उधर महाराष्टर में है आज कल। मराठी पार्टी बनाइ है। एक दो बार आजाद के पीछेपड़ गया था, के जाओ यह महाराष्ट्र हमारा है, तुम यू पी वालों का क्या काम यहाँ। बिस्मिल और आजाद भेस बदलकर भागे वहां से। आके बोलते जान बची तो लाखों पाये। हहहहहाहह्हहहहाहा
दत्त: और अपना अशफाक कहाँ है आज कल।
सिंह: होगा कहीं। अपना तो कोई लेना देना नहीं उस से। बना रहा होगा कहीं जेहादी मस्जिदों में। और क्या करना हैउसे। और तू सुना तू क्या कर रहा है आज कल।
दत्त: मैं यार आज कल लीडर हूँ। माकपा छोड़ दी , आज कल ममता दीदी के साथ हु। जलसों में गुंडे भेजता हूँ। यहसाला सिंगुर विन्गुर अपना ही किया हुआ है। बहुत दहशत है इधेर अपनी। बाकि वोही तेरे वाला काम ठेके वेकेमिल जाते हैं। अच्छा पैसा बन रहा है। जब काकोरी में अंग्रेजों का नहीं छोड़ा तो यह तो अपने देश का पैसा है। औरसुखदेव से सलाम कहना यार।
सिंह: दादा ! अपना उस खत्री बच्चे से कोई लेना देना नहीं है। जानी दुश्मन हैं आज कल।
दत्त: क्यूँ क्या हुआ?
सिंह: बस यार मैंने आन्दोलन शुरू किया की पंजाबी लागू करो पंजाब में, वोह खत्री , हिन्दी का टंटा फंसा के बैठगया। दिख गया तो गोली मार दूँगा।
दत्त: चल छोड़ जाने दे। और वोह अपना राम रहीम सिंह आजाद उर्फ़ उधम सिंह कहाँ हैं आज कल।
सिंह: वोह तो इंटरनेशनल कम्बोज सभा का कन्वेनर है। ओ'डायर से समझौता हो गया था। अच्छा पैसा बना लियाहै। सुना है अगले साल इलेक्शन लडेगा। फिर खुल के खायेगा।
दत्त: और क्या नया ताज़ा है पंजाब में?
सिंह: बस यार , एक दो दिन लग जायेंगे अभी रोयल्टी इकठी करनी है। सालों ने हरेक शहर में मेरे नाम से कॉलेज, स्कूल खोले हैं और अब सुना है एक शहर भी बना दिया है। पैसे तो लूँ इनसे , आप पता नही कितने कमाते हैं।

यह सभी बातें काल्पनिक हैं और हम इसे कल्पना में भी नहीं पचा पाएंगे क्यूंकि अपने आदर्शों को इस तरह से बातें करना तो दूर हम उन्हें यह बातें सोचते हुए भी पसंद नहीं करेंगे लेकिन मुझे लगता है अगर यह महापुरुष आज जिंदा होते तो शायद इस तरह की बातें कभी करते लेकिन हम आज कल यही कर रहे हैं पहरावा, पहचान, ज़बान, धर्म, धर्मस्थान और रिवाज़ के साथ साथ हमने शहीद भी बाँट लिए हैं. भगत सिंह, जाट सिख है, सुखदेव थापर खत्री है, लाला लाजपत राय ब्राह्मण हैं और राजगुरु मराठा हैं हमने तो बचपन में सिर्फ़ भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव सुना था लेकिन अब यह बाँट दिए गए हैं रामप्रसाद बिस्मिल और आजाद यू पी के हैं तो पंजाबिओं का क्या काम है उन्हें याद रखने का जो करना हैं यू पी वाले करें क्या यह सही हो रहा है? पिछले दिनों एक अखबार में हास्यास्पद खबर पढ़ी के एक गुट ने अमृतसर बस स्टैंड का नाम मदन लाल धींगरा से बदल कर किसी सिख के नाम पर रखने के लिए धरना दिया क्यूंकि अमृतसर एक सिख बहुल इलाका है आज बटुकेश्वर दत्त को याद नहीं किया जाता अगर भगत सिंह ने स्कॉट को मारा होता तो उन्हें भी दत्त की तरह उम्रकैद होती तो क्या हम उनके इस त्याग को इतनी गरिमा से याद करते भगत सिंह को आज कल एक गुंडे के रूप में पेश किया जा रहा है कॉलेज के विद्यार्थी पिस्तोल पकड़े भगत सिंह की फोटो मोटर साइकिल पर लगाये घूमते हैं जिस के निचे लिखा होता है ' अँगरेज़ खंगे सी ताहीओं टंगे सी' क्या यह सब भगत सिंह से अपेक्षित था? कुछ स्टुडेंट यूनियन भगत सिंह की फोटो लगाये पोस्टर लिए फिरते हैं और नीचे लिखा होता है "बोले कन्नां नु सुनों लायी धमाके दी लोढ हुन्दी है क्या यह धमाके भगत सिंह के दर्शन का अनुसरण करते हैं क्या भगत सिंह ने अपने जीवन काल में हमारे युवाओं से से इस बात की उम्मीद की थी, के हमारे देश का युवा ख़ुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारेगा क्यूँ भगत सिंह को एक हिंसात्मक व्यक्ति के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जब हमारे शहीदों ने कुर्बानी देते हुए प्रान्त, मज़हब और ज़बान नहीं बांटे तो हम उनको किस आधार पर इन सब पर बाँट रहे हैं अगर हमारे शहीद जानते के उनके बाद इस मुल्क का यह हाल होने वाला है तो शायद उन्हें अपनी क़ुरबानी पर आज गर्व की जगह शर्म महसूस हो रही होगी कुछ दिन पहले एक महानुभाव ने मोहाली स्थित राजीव गाँधी विधि यूनिवर्सिटी का नाम किसी सिख शहीद के नामपर रखने की जिद की। कई अखबारों में सुर्खियाँ थी और कारन था पंजाब में राजीव गाँधी का क्या काम। नामरखना है तो सिख शहीद पर रखो। मुझे मालूम है यह सब लिखने का कोई फायदा नही। हम न सुधरे हैं और नसुधरेंगे कभी। अगर भगत सिंह को पता होता की आजाद भारत में सत्ता के लिए खून खराबा होगा, एक दूसरे केदुश्मन बनेंगे सब तो शायद वोह अंग्रेजों के हाथ सब कुछ छोड़ कर आराम से बुढ़ापे की मौत मरता क्यूँ की उसे इसबात का सुकून तो होता की कम अज कम सब मिल के तो रहते हैं।
इस लेख में लिखे गए विचार सर्वथा निजी हैं और इनका मकसद किसी जाति या व्यक्ति विशेष को दुःख पहुँचानानही है। यह मेरी एक अपाहिज व्यथा है , जिसे मैं पहले अकेला वहन कर रहा था और अब आप सब का साथचाहता हूँ. दुष्यंत ने सही कहा था :
बहुत मशहूर है आएँ ज़रूर आप यहाँ
ये मुल्क देखने लायक़ तो है हसीन नहीं
और
कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े पहने हुए
मैंने पूछा नाम तो बोला कि हिन्दुस्तान है

9 comments:

  1. कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े पहने हुए
    मैंने पूछा नाम तो बोला कि हिन्दुस्तान है

    No wards to say any thing.

    Very Good, Heart Touching
    Agar ab bhi in THakrey Walrey ki aankh na khuli to DHIKKAR hai

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  2. your writing skills are shining day by day.....comments in words will not justify the spirits of content...so just listen dil ki awaz for this atticle hailed from a DIL....

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  3. unable to believe that u can write such sort of article.imaginary flight is on the top sky.heartily congrts.

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  4. you have capability to change minds......your thoughts and concepts are fantastic.....really good articles...congrts

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  5. you have imagined n written the truth exceptionally well.i wish n pray that each n every indian should enlighten their minds and soul and just think deeply about those who have sacrificed their lives 4 the nation and generate in them the feeling of patriotism.
    all the best by mahima

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  6. Amazing... its good write up.. you can write good scripts man... carry on the efforts.. but in the service of people..

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  7. really heart touching bhai......

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  8. वरुण जी,आपकी ये व्यथा सिर्फ़ आप की नहीं हम सब की है ,हर सच्चे हिंदुस्तानी की है ,हम ख़ुद को टुक्ड़ों में बांट रहे हैं किसी दुश्मन की क्या ज़रूरत है हमें ,

    बहुत अच्छा लिखते हैं आप ,बधाई हो लिखते रहिए लेकिन
    hope is the last thing to lose
    "जलाए रखना उम्मीदों के ,हौसलों के चिराग़,
    कि नूर उतरेगा इक रोज़ तेरे आंगन में "

    आज का youth इन फ़ालतू बातों में यक़ीन नहीं रखता ,हालात ज़रूर बदलेंगे

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  9. Bhai kya kahu, mazza aya padd k ya dukh laga... yeh toh sach hai aaj-kal humare rajneta yehi sab toh kar rahe hain, kahi dharam ki raajneeti ho rai hai kahi jaati ki.
    Aap k shabad sunn k desh k bawish pe prashan chinn laggta hai...
    Baaki aap ki bhasha aur laikhni pranshanshniye hai.
    Aap aur likhe aur aasha hai aap k shabad logo ka hridaya pariwartit kare.

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